कैप्टन डोडो और छिपकली

 कैप्टन डोडो ऑफिस का काम करके घर लौटी और थकान मिटाने के लिए सीधे जाकर अपने कमरे के बेड पर लेट गईं।

आज का दिन काफी काम से भरा हुआ था। खुद का पूरा दिन वो अपने सामने घटते हुए देख सकती थी।

पर आज का दिन काफी अच्छा भी था। आज ऑफिस स्टाफ डोडो की बहादुरी से काफी खुश था। सब लोग उसी की तारीफ कर रहे थे कि कैसे डोडो ने बड़ी चतुराई से मास्टरमाइंड टेररिस्ट टाइगर के प्लान को फेल कर दिया था और उसको पकड़ने में मदद की थी।


थकी हुई डोडो बस ये ही सब दिन का हाल सोच रही थी की उसकी नज़र एकाएक उस छिपकली पर पड़ी जिसके पीछे आज सुबह वो झाड़ू लेकर भागी थी।

उसे देखकर डोडो को अचंभा हुआ क्यूंँकि अभी वो छिपकली अपने पूरे परिवार के साथ वहाँ थी।

डोडो को याद आया की आज सुबह सुबह इस छिपकली ने उसे कितना परेशान किया था, वो बाथरूम में जाती तो भी छिपकली पीछे आ जाती, वो रसोई में जाती तब भी वहाँ चली आती।

एक तो सुबह की अफरा तफरी और ऊपर से छिपकली का नाटक।

डोडो के मन में तो आ रहा था की वापस अभी झाड़ू से इसे यहांँ से भगा दूं पर थकी होने के कारण वो अभी भी बिस्तर पर लेटी रही।

छिपकली डोडो को एकटक नज़र से देख रही थी और डोडो छिपकली को।

छिपकली के बच्चे भी आस पास ही थे पर रोजाना की तरह उधम नहीं मचा रहे थे, वो किसी शांत आदर्श बच्चों की तरह बस दीवार पर चिपके थे।

डोडो भी सोचने लगी की ये लोग इतनी देर तक इतने शांत कैसे रह सकते हैं।

तभी छिपकली डोडो के थोड़ी ओर करीब आईं और उससे बोली की वो सिर्फ़ आज सुबह के लिए माफ़ी मांगने आई है, अब कभी डोडो को परेशान नहीं करेंगी।

छिपकली डोडो से कहती हैं की आज उसे समझ में आया की तुम कैसे रोज़ अपना काम करती हो, कोई ओर होता तो आज सुबह मुझे मेरी बदमाशी पर मुझे मार ही देता पर इतना परेशान करने के बाद भी तुमने मुझे सिर्फ डराया ही।

आज मैंने अपने बच्चों को भी समझा दिया अब ये कभी रसोई में या किसी खाने की जगह पर नहीं जाएंगे और मैं भी अब कभी तुमको तंग नहीं करूंगी, जब तुम ऑफिस से आओगी तब तक हम लोग सारे कीड़े मच्छर चट कर के कमरे से बाहर निकल जाएंगे।

डोडो उसकी बातों को सुन रही थी और मन ही मन हंँस रही थी, वो सोच रही थी की कैसे उसकी विनम्रता एक छिपकली का हृदय परिवर्तन कर सकती है।

मुस्कुराते हुए डोडो छिपकली से बोली की कहीं जाने की जरूरत नहीं है कभी कभी सुबह की जल्दीबाजी में मुझे गुस्सा आ जाता है बस इसलिए मैं तुम्हें भगा देती हूंँ। पर ये हमारा रोज़ का छोटा मोटा मनोरंजन मुझे भी पसंद है इसी बहाने थोड़ा तुम्हारे साथ खेल लेती हूंँ।


उस दिन से डोडो और छिपकली के बीच एक अच्छा समझोता हो गया था, अब छिपकली और उसके बच्चे डोडो को कभी परेशान नहीं करते थे, डोडो ने छत के एक कोने में उनके लिए एक छोटा सा घर बना दिया था, वो कभी रात को छत पर टहलते हुए उनका हाल पूछ लिया करती थी।

                                              – मनीष

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