कैप्टन डोडो और शैतान चूहें

 आज रविवार था छुट्टी का दिन, कामकाजी डोडो के लिए आराम का दिन तो डोडो भी आज बड़ी देर से उठी। आलस अभी भी उसकी आंँखों में दिख रहा था। उसने आती हुई उबासी को अपने एक हाथ से ढका और फिर एक अंगड़ाई लेकर बिस्तर से खड़ी हो गई।

डोडो को कॉफी बहुत पसंद थी तो वो रसोई में गईं और कॉफी बनाने लगी, जब वो कॉफी बना रही थी तो उसके मन में कल का केस घूम रहा था, डोडो के सामने इस तरह का केस पहली बार आया था।

केस कुछ यूँ था की डिफेंस मिनिस्ट्री ऑफिस में बहुत से चूहों ने धावा बोला दिया था और एक सीक्रेट जानकारी वाली चिप को चूहों ने कहीं अपने पास छुपा लिया था।

अब इसमें दुविधा ये थी की चूहों को एक एक करके मार देते तो सीक्रेट चिप का पता कैसे लगता, इसलिए मिनिस्ट्री के ऑफिस को सील पैक कर दिया गया की एक भी चूहा बाहर न जा पाए।

ये चूहे शायद दुश्मन देश ने भेजे होंगे इसी भ्रम के चलते ये केस सुलझाने के लिए डोडो के ऑफिस को सौपा गया था।

डोडो भी ये सोच रही थी की वो इस में भले क्या ही कर लेगी, बड़ा ही अजीब सा केस था।

कॉफी बन चुकी थी और डोडो बाहर लगे पौधों के गमलों के पास आकर सुबह की ताज़ा हवा में कॉफी पीने लगी तभी डोडो के मोबाइल की घंटी बजी।

डोडो की छोटी बहन का फोन आया था, डोडो अपनी बहन से बहुत प्यार करती थी तो उसका फोन देखते ही ख़ुशी से उठा लिया और उस से बात करने लगी।

डोडो की छोटी बहन बड़ी चुलबुली थी वो अपनी पूरी दिनचर्या अपनी दीदी को खिलखिलाकर सुना दिया करती थी।

अभी वो डोडो से उनके प्यारे बिल्ले भोलू की बातें कर रही थी और बता रही थी की कैसे उसने भोलू की अलग अलग पोजेस में कई फोटोज़ खींची हैं।

डोडो को भी भोलू प्यारा था वो भी उसके अलग अलग किस्से बड़े मजे से सुन रही थी।

भोलू एक छोटा बिल्ला था जो दिखने में बड़ा ही प्यारा, आराम पसंद और खाने का शौकीन था पर अंदर से उतना ही बुद्धिमान और नटखट था।

बात करते करते डोडो ने बहन को कल वाले केस की जानकारी दी तो उसने तपाक से बोला की चूहों को तो अपना भोलू अच्छे से संभाल लेगा, मैं आज रात को आते वक्त इसे अपने साथ ले आऊंगी।

डोडो का दिमाग भी तेजी से दौड़ने लगा और उसने सोचा कि भोलू इस केस में उसकी मदद कर सकता हैं बस उसे एक अच्छी तरकीब बनानी होगी।

बात खत्म करके डोडो ने चैन की सांँस ली क्योंकि अब उसके पास एक रास्ता था की कैसे इस केस को सॉल्व किया जाए। फिर डोडो अपने निजी कामों में व्यस्त हो गई।

रात को जब उसकी बहन भोलू के साथ आई तब तक डोडो अपने प्लान के साथ तैयार थी।

भोलू डोडो को देखते ही उसके जा चिपका और नईं जगह पर खुश होकर उछल कूद करने लगा।

डोडो ने भी अपना प्लान भोलू को सुना दिया था और वो भी मदद करने के लिए एकदम तैयार था।

सुबह डोडो भोलू को अपने साथ मिनिस्ट्री के ऑफिस ले गई और एक खुफिया दरवाज़े से भोलू को ऑफिस के अंदर भेज दिया।

भोलू एक बहुत ही होशियार बिल्ला था, वो जनता था की चूहों को कैसे काबू में करना हैं।

उसे देख कर चूहे इधर उधर भागने लगे, भोलू ने एक ही झपट्टे में दो चूहों को अपने पंजों में दबा लिया और उन्हें कमरे के बीचों बीच ले आया।

भोलू ने बड़ी खूंँखार आवाज में घोषणा करी की अभी की अभी उसे चिप लाकर दो नहीं तो वो इन दोनों को जान से मारकर खा जाएगा।

पर चूहे बड़े बदमाश व शरारती थे वो इतनी जल्दी कहा मानने वाले थे।

सभी चूहों ने एक साथ भोलू पर धावा बोल दिया था। भोलू भी लड़ने के लिए पूरा तैयार था उसने अपने नुकीले पंजों से चूहों पर वार करना शुरू कर दिए।

चूहे संख्या में ज्यादा थे और भोलू का मकसद चिप लेना था न की उनको एक एक करके मार देना, तभी भोलू को डोडो का समझाया हुआ प्लान याद आया, डोडो ने कहा था कि चूहों के दल में से उनके सरदार को पहचानना और उसे पकड़ कर सब चूहों से चिप का पता लगाना।

भोलू ने देखा की एक चूहा बड़ा आराम से ऑफिस टेबल के ऊपर बैठा था, भोलू समझ गया की ये ही इनका सरदार हैं और फिर क्या था भोलू एक ही छलांँग में टेबल पर पहुंँच गया और चूहों के सरदार की गर्दन अपने पंजों में कर ली।

इतना होना था की सारे चूहे शांत हो गए और टेबल के नीचे इकठ्ठा हो गए।

चूहों का सरदार बाहर से हिम्मत वाला दिखता था पर अंदर से एक दम डरपोक था और मरने से डरता था तो उसने एक चूहे से चिप लाने को कहा और चिप भोलू को दे दी।

भोलू मन का अच्छा था इसलिए उसने एक भी चूहे को मारकर नहीं खाया और सबको ऑफिस खुलते ही यहांँ से कहीं दूर चले जाने को कहा।

सरदार भोलू की इस नैतिकता से खुश हुआ और उसने वादा किया की अब से वे किसी भी लालच में ये नहीं करेंगे और उन्होंने दुश्मन का नाम पता भी उसको बता दिया।

भोलू ऑफिस से बाहर आया और डोडो को पूरी कहानी सुना कर चिप दे दी।

डोडो ने भोलू की बहादुरी पर उसकी पीट थपथपाईं और डिफेंस मिनिस्ट्री ने भी डोडो और भोलू की बहुत प्रशंसा की व उन्हें इनाम भी दिया। 

केस सॉल्व हो गया, डोडो ने दुश्मन को भी पकड़वा दिया।

हर बार की तरह ऑफिस के लोगों के मुंँह पर कैप्टन डोडो का ही नाम था।

डोडो भी बहुत खुश थी और अपनी बहन को इस आइडिया के लिए बधाई देने के लिए बहुत सारी चॉकलेट्स और टाफियांँ खरीद कर घर ले गईं। घर पहुंँच के तीनों ने जमकर मस्ती की फिर अगले दिन डोडो की बहन भोलू को अपने साथ वापस ले गईं।

और इस तरह बहन की समझदारी, भोलू की बहादुरी व कैप्टन डोडो की तरकीब से देश पर एक बड़ा खतरा होने से टल गया।

                                                 - मनीष

                               


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